एतिहासिक पृष्ठभूमिः- जनपद सहारनपुर के दक्षिणांचल में तहसील रामपुर मनिहारन के अन्तर्गत सहारनपुर- दिल्ली प्रान्तीय राजमार्ग संख्या 57 पर, सहारनपुर से 36 किमी0 की दूरी तथा 29042’ उत्तरी अक्षांश एवं 77025’ पूूर्वी देशान्तर पर अवस्थित कस्बा नानौता शुरू में ‘नानूथा’ कहलाता था और यह नामकरण लगभग 650 वर्ष पूर्व इसके निकटवर्ती ग्राम ‘ ओलरा’ के निवासी हिन्दू गुर्जर ‘नानू’ नामक व्यक्ति के नाम पर किया गया था। एतिहासिक महत्त्व के इस कस्बे में ‘दादा मीराजी’ के नाम से मशहूर एक मज़ार का गुम्बद सिकन्दर लोदी द्वारा निर्मित माना जाता है और यहाँ का श्री दिगम्बर जैन पंचायती मन्दिर लगभग 500 वर्ष पुराना है। कई सौ वर्ष पुराने शिव, हनुमान, दुर्गा, वाल्मीकि एवं रविदास मंदिन, जैन मन्दिर, बहुत-सी मस्जिदों, ईदगाह, धर्मशालाओं एवं गुरूद्वारा को अपनी कोख में समेटे हुए यह कस्बा गंगा-यमुनी संस्कृति का अनोखा केन्द्र है। क़स्बे के पश्चिम में स्थित ग्राम ‘बरसी’ तथा यहाँ स्थित भारत के एकमात्र पश्चिममुखी शिवमंदिर के विषय में किंवदन्ती है कि कुरूक्षत्र जाते समय भगवान कृष्ण इस जगह पर रूके थे और इसकी रमणीयता से अभिभूत होकर उद्गार व्यक्त किया था कि ‘‘ यहाँ की भूमि मुझे‘ब्रज-सी’ लग रही है’’ इसी ध्वनि साम्य के कारण इसका नाम ‘बरसी’ पड़ा तथा दुर्योधन द्वारा यहाँ पर निर्मित शिवमंदिर के द्वार को भीम ने अपनी गदा से पश्चिम दिशा में मोड़ दिया था। इसी सरज़मी पर सन् 1832 में जन्मे मौलाना कासिम नानोतवी ने सन् 1866 में देवबन्द(सहारनपुर) में दारूल उलूम की स्थापना कर वहाँ 13 तक सेवा की थी। अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित मरहूम अब्दुल बासिद सिद्दीकी तथा सच्चे अर्थों में गाँधीवादी स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी स्व0 अर्जुन सिंह भी इसी उर्वरा मिट्टी की उपज थे।
स्थापना एवं प्रगतिः- क्षेत्रीय आवश्यकता एवं माँग तथा जनता जनार्दन के सद्भाव एवं सहयोग के फलस्वरूप उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जुलाई 2003 में सस्थापित इस राजकीय महाविद्यालय का श्री गणेश स्थानीय किसान सेवक इण्टर कालेज नानौता द्वारा उपलब्ध कराए गए पाँच कमरों में हुआ। महाविद्यालय परिसर में निर्माणार्थ इसी इण्टर कालेज की प्रबन्ध समिति द्वारा 2 हेक्टेयर क्षेत्रफल का भूखण्ड अभ्यर्पित किया गया। शासन द्वारा आबंटित 128.50 लाख रूपये की धनराशि से उ0प्र0 राजकीय निर्माण निगम की सहारनपुर इकाई द्वारा निर्मित कला संकाय एवं प्रशासनिक भवन का हस्तान्तरण फरवरी 2007 में हुआ।
स्थापना के समय महाविद्यालय को स्नातक स्तर पर कला संकाय के 7 विषयों हिन्दी, संस्कृत, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, इतिहास एवं भूगोल में सम्बद्धता प्रदान की गई थी और जुलाई 2008 में अंग्रेजी तथा विज्ञान संकाय के 5 विषयों भौतिकी, गणित, रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान एवं प्राणि विज्ञान में भी सम्बद्धता प्राप्त हो गई है। उल्लेख्य है कि विश्वद्यिालय अनुदान आयोग अधिनियम 1956 की धारा 2(थ्) एवं 12 (ठ) के अन्तर्गत भी यह महाविद्यालय समाविष्ट है। शासन द्वारा एक प्राचार्य, चौदह प्राध्यापक, एक पुस्तकालयाध्यक्ष, चार प्रयोगशाला सहायक, एवं वरिष्ठ लिपिक, एक कनिष्ठ लिपिक तथा दो परिचारक के पद सृजित हैं।